दिव्या गांधी आहार और पोषण के क्षेत्र में 10 वर्षों के अनुभव के साथ डाइट एंड क्योर क्लिनिक की संस्थापक हैं। उसके पास वीएलसीसी से डबल डिप्लोमा है।
विटामिन D बच्चों के समग्र स्वास्थ्य और तंदरुस्ती के लिए आवश्यक है। यह फैट-सोल्युबल विटामिन है जो बच्चों में हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक कैल्शियम और फास्फोरस दोनों को शरीर में अवशोषित करने और बनाए रखने में मदद करता है। इस कारण से, बच्चों को सलाह दी जाती है कि वे प्रतिदिन लगभग 15 से 20 मिनट बाहर बिताएं, अपने हाथों और चेहरे को धूप में रखें, जिससे त्वचा को उनके शरीर के लिए आवश्यक सभी विटामिन D को संश्लेषित करने के लिए प्रेरित किया जा सके। हालाँकि, बच्चों के लिए यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि वे अपनी त्वचा को बहुत अधिक धूप से संभावित नुकसान से बचाने के लिए सुरक्षित रखें।
विटामिन D प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है
अध्ययनों से पता चला है कि विटामिन D शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को नियंत्रित करने में मदद करता है। प्रतिरक्षा प्रणाली आपके शरीर की संक्रमण और बीमारी के खिलाफ रक्षा की पहली पंक्ति है, इसलिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आपके बच्चे में विटामिन D का स्तर कम न हो। विटामिन D में शरीर पर एंटी बैक्टेरिअल, एंटी इन्फ्लेमैट्री और एंटीवायरल प्रभाव होते हैं। शोध से पता चलता है कि विटामिन D संक्रमण के प्रति प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया को मजबूत करता है। विटामिन D शरीर की प्रतिरक्षा कोशिकाओं, जैसे कि T- कोशिकाओं और B-कोशिकाओं को सक्रिय और उत्तेजित करने में भी सहायता करता है, जो संक्रमण और बीमारियों से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जर्नल ऑफ इन्वेस्टिगेटिव मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, जिन बच्चों के शरीर में विटामिन D का स्तर अच्छा होता है, उनमें विटामिन D के कम स्तर वाले बच्चों की तुलना में श्वसन संक्रमण कम होता है।
इष्टतम विटामिन D के साथ अपने बच्चे की प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने के कुछ तरीके यहां दिए गए हैं
1. यह संक्रमण के खतरे को कम करता है: अध्ययनों के अनुसार, विटामिन D का उच्च स्तर फ्लू और सर्दी जैसे श्वसन संक्रमण को रोकने में मदद करता है।
2. यह टीकों के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया में सुधार करता है: पर्याप्त विटामिन D वाले बच्चे टीकों के प्रति बेहतर प्रतिक्रिया देते हैं।
3. शरीर में सूजन कम करता है: विटामिन D शरीर में सूजन को कम करने में मदद करता है।
4. यह ऑटोइम्यून बीमारियों के जोखिम को कम करता है: विटामिन D मल्टीपल स्केलेरोसिस, टाइप 1 डायबिटीज और रूमेटाइड आर्थराइटिस जैसे ऑटोइम्यून बीमारियों के कम जोखिम से जुड़ा है।
5. यह एंटी-माइक्रोबियल पेप्टाइड्स को उत्तेजित करता है: विटामिन D एंटी-माइक्रोबियल पेप्टाइड्स के निर्माण को उत्तेजित करता है जो संक्रमण और बीमारियों से लड़ने में मदद करता है।
संक्षेप में, विटामिन D संपूर्ण प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है। इसलिए, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली बनाने के लिए आपके बच्चे को पर्याप्त विटामिन D मिलना चाहिए।
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खुराक
बच्चों के लिए विटामिन D की दैनिक अनुशंसित खुराक विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि उम्र, वजन और उनके शरीर की व्यक्तिगत जरूरतें। (विटामिन D का सेवन माइक्रोग्राम (mcg) या अंतरराष्ट्रीय इकाइयों (IU) में मापा जाता है, विटामिन D का एक mcg 40 IU के बराबर होता है)। 18 वर्ष की आयु तक के बच्चों और किशोरों के लिए विटामिन D की अनुशंसित दैनिक खपत 600-1000IU/दिन है।
खुराक कई अन्य कारकों पर भी निर्भर हो सकती है जैसे भौगोलिक स्थिति, त्वचा का रंग और सूर्य का संपर्क। विटामिन D सप्लीमेंट की किसी भी आवश्यकता और इसकी उचित खुराक के बारे में जानकारी के लिए अपने बच्चे के डॉक्टर से परामर्श करने की सलाह दी जाती है।
विटामिन D की कमी और प्रतिरक्षा प्रणाली
चूंकि बच्चे इन दिनों बाहर खेलने में ज्यादा समय नहीं देते हैं, इसलिए उन्हें ज्यादा धूप भी नहीं मिल पाती है । यह देखा गया है कि स्वस्थ आहार और धूप के अच्छे संपर्क के बाद भी, बच्चों में विटामिन D की कमी हो सकती है, जो बाद में उनकी वृद्धि और विकास को बाधित करती है। बच्चों में विटामिन D की कमी से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
1. रिकेट्स: यह एक ऐसी स्थिति है जो हड्डियों को ढीला और कमजोर बना देती है। जिन बच्चों में विटामिन D की कमी होती है, उनमें इसके विकसित होने का खतरा अधिक होता है। रिकेट्स के कारण विकास अवरुद्ध हो सकता है, पैर झुक सकते हैं और कंकाल संबंधी अन्य विकृतियां हो सकती हैं।
2. धीमी वृद्धि और विकास: जैसा कि हम जानते हैं कि विटामिन D बच्चों में हड्डियों और दांतों की वृद्धि और विकास के लिए महत्वपूर्ण है, इसकी कमी से विकास और वृद्धि में देरी हो सकती है।
3. मांसपेशियों में कमजोरी विटामिन D की कमी वाले बच्चों में मांसपेशियों में कमजोरी और शारीरिक प्रदर्शन में कमी का अनुभव हो सकता है।
4. दांतों का खराब स्वास्थ्य: विटामिन D की कमी से दांतों की सड़न या टूटना या फुटना जैसे संभावित दातों की समस्याएं हो सकते हैं।
विटामिन D के स्रोत
विटामिन D को आमतौर पर ‘सनशाइन विटामिन’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि जब हमारी त्वचा सूरज के संपर्क में आती है तो यह स्वाभाविक रूप से विटामिन D का निर्माण करती है जिसे UVB-डिपेंडन्ट इंडोजिनिअस प्रोडक्शन कहा जाता है। हालाँकि, बच्चे विटामिन D को अन्य स्रोतों जैसे भोजन से पोषक तत्व और सप्लीमेंट लेकर प्राप्त कर सकते हैं।
विटामिन D के दो रूप हैं, विटामिन D2 (एर्गोकैल्सिफेरॉल) और विटामिन D3 (कोलेकैल्सिफेरॉल) जो दोनों भी वृद्धि और विकास के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। मछली, अंडे, दूध, सोया, पनीर, संतरे का रस, मशरूम, नाश्ते के अनाज और दही जैसे कुछ खाद्य पदार्थ हैं जो प्राकृतिक रूप से विटामिन D से भरपूर होते हैं।
निष्कर्ष
विटामिन D की खुराक आपके बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा दे सकती है जब बच्चों को आहार और धूप के संपर्क में आने से पर्याप्त मात्रा में विटामिन D नहीं मिल रहा हो।
यदि आप अपने बच्चे के लिए विटामिन D की खुराक लेने पर विचार कर रही हैं तो ध्यान रखने योग्य बातें:
1. पहले डॉक्टर से सलाह लें: सप्लीमेंट के बारे में अपने बच्चे के डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है क्योंकि वे आपके बच्चे की ज़रूरत के अनुसार उचित खुराक निर्धारित कर सकते हैं।
2. सप्लीमेंट का सही रूप: विटामिन D सप्लीमेंट्स विभिन्न रूपों में आते हैं जैसे कैप्सूल, लिक्विड्स और गमी। आप अपने बच्चे की उम्र और रुचि के अनुसार उपयुक्त फॉर्म का चयन कर सकते हैं।
3. हमेशा निर्देशों का पालन करें: सप्लीमेंट्स लेबल पर दिए गए खुराक निर्देशों का पालन करें या अपने बच्चे के डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें।
4. उचित आहार और धूप में निकलना: सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे को आहार के साथ-साथ धूप के संपर्क में आने से पर्याप्त विटामिन D मिल रहा है।
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